POULTRY FARMING
मुर्गी पालन (Poultry Farming): परिचय
मुर्गी पालन (Poultry Farming) कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ एक व्यवसाय। इस व्यवसाय को हम शहरी या ग्रामीण भाग में शुरू कर सकते हैं। भारत में मुर्गी पालन एक बड़े पैमाने मैं किया जा रहा है। भारत में बढ़ते हुए मुर्गी और उसके अंडों की मांग देखकर इस व्यवसाय को भारत सरकार इस व्यवसाय के लिए किसानों को प्रशिक्षण और ऋण देने के लिए बहुत सारी योजना को लाया है। इस व्यवसाय को आप काफी कम लागत में शुरू कर सकते हैं। अगर आप इस पर छोटे पैमाने पर भी करते हैं तो आप महीने का 50 से 60 हजार रुपए आसानी से कमा सकते हैं।
मुर्गी पालन के प्रकार
आप मुर्गी पालन किस लिए करना चाहते हैं उसी के आधार पर मुर्गी पालन के अलग-अलग प्रकार होते हैं। आमतौर पर मुर्गी का पालन लोग मुर्गी के मांस या उसके अंडे के लिए करते हैं। इसी के आधार पर नीचे दिए हुए मुर्गी पालन के प्रकार है।
- लेयर मुर्गी पालन (Layer Poultry Farming) : मुर्गी का पालन जब सिर्फ अंडे देने के लिए किया जाता है, उसको लेयर मुर्गी पालन कहते हैं। आमतौर पर देखा जाए तो एक मुर्गी जब अंडे देने शुरू करती है तो 16 महीने तक अंडे देती है। और मुर्गी के जो चूजे होते हैं वह चार-पांच महीने में अंडे देने शुरू करते हैं।
- मांस के लिए मुर्गी पालन ( Broiler Poultry Farming): जब मुर्गी का पालन सिर्फ मांस के लिए किया जाता है उसको ब्रायलर चिकन फार्मिंग कहा जाता है। यहां पर जो चूसे का इस्तेमाल होता है वह बाजार में बेचने के लिए मात्र 7 से 8 हफ्ते में विकसित हो जाता है।
- देसी मुर्गी पालन (Desi Poultry Farming): देसी मुर्गी का पालन भारत में आमतौर में छोटे स्तर पर किया जाता है। यह एक भारत में पारंपरिक व्यवसाय। जिसमें लोग अपने घर में ही थोड़ी जगह बचाकर वहां पर देसी मुर्गी का पालन करते हैं। इसकी लागत भी बहुत कम होती है और आपको यहपर आया मिलन बहुत जल्द शुरु होता है। इस प्रकार का मुर्गी पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है।
मुर्गी के जात का चयन कैसे करें ?
मुर्गी की जात का चयन करते समय आपको बहुत ध्यान देना चाहिए। भारत में बहुत सारी जाट की मुर्गी उपलब्ध है। परंतु कुछ ही मुर्गियां व्यवसाय के लिए अच्छी होती है।
- अंडे देने वाली नस्लें: अंडों के लिए मुर्गी पालन करने के लिए लेगार्न (Leghorn), रोड आईलैंड (Rhode Island Reds), न्यू हैंपशायर (New Hampshire), प्लाईमाउथ रॉक्स (Plymouth Rock) इन नस्लों का इस्तेमाल करना चाहिए।
- मांस वाली नस्लें: मास के लिए मुर्गी का पालन करने के लिए कलिंगा ब्राउन (Kalinga Brown), कोर्निश क्रॉस (Cornish Cross), सुसेक्क (Sussex) इन नस्ल का इस्तेमाल करना चाहिए।
- मांस और अंडे देने वाली नस्लें: मांस और अंडे के लिए डीपी क्रॉस (DP cross), ऑस्ट्रेलैप (Australap), ब्रह्म, व्यंडिटते (Wyandotte), आर्पिंगटन (Orpington) नस्ल इस्तेमाल करना चाहिए।
मुर्गी पालन में लसीकरण कैसे करें?
मुर्गी पालन करते समय आपको उनके लसीकरण जानकारी होनी बहुत जरूरी है। जैसे-जैसे मुर्गी या बड़ी होती है, उसके अनुसार उनका वशीकरण करना होता है। नीचे दिए टेबल को ध्यान से पड़ी।
दिन | टीका (Vaccine) |
1 दिन | मरेक्स HVT |
7 दिन | रानीखेत / मानमोडी लसोटा |
14 दिन | गमभोरो IBD |
21 दिन | लसोटा बूस्टर |
28 दिन | गमभोरो बूस्टर |
35 दिन | देवी / फाउल पॉक्स |
मुर्गी पालन के फायदे
- कम लागत में शुरू करने वाला व्यवसाय।
- कम जगह लगने के कारण घर पर भी शुरू कर सकते हैं यह व्यवसाय।
- काफी कम समय में आय चालू हो जाती है।
- मुर्गी के अंडे और मांस की बाजार में बहुत ज्यादा मांग है। इसके कारण आपको अंडे या मांस बेचने के लिए ज्यादा दिक्कत नहीं होती।
- आपने जो निवेश किया है वह आपको बहुत जल्दी रिटर्न मिल जाता है।
- इस व्यवसाय में बहुत कम रिस्क होती है।
- यह व्यवसाय शुरू करने के लिए भारत सरकार ने बहुत सारी योजनाएं लाई हैं। जिसके साथ आपको प्रशिक्षण और बैंक से ऋण की सुविधा उपलब्ध होती।
मुर्गी के खाने का प्रबंधन (Diet Management) कैसे करें ?
मुर्गी का खाने का प्रबंध करते समय आपको बहुत भारी कैसे ध्यान देना होता है। मुर्गी को जो खाना देना है उसकी जरूरत मुर्गी के आयु के हिसाब से होती है।
- 1 से 21 दिन के बाद बेचने का समय : 1 से 21 दिन के बीच में जो चूसे होते हैं उनको चिकन स्टार्टर (Chicken Starter) देना होता है। चिकन स्टार्टर देने की वजह से च की विकास बहुत जल्दी होता है उसमें मांस की मात्रा बहुत जल्द बढ़ जाती है और बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाता है। चिकन स्टार्टर मधे 18 से 19 प्रतिशत प्रोटीन होता है।
- 21 के बाद का खाना : 21 दिन के बाद का जो खाना होता है वह मुर्गी को अंडे देने के लिए और मुर्गी का मांस बढ़ाने के लिए दिया जाता है। जिन मुर्गियों का पालन मांस के लिए किया जाता है उनको चिकन फिनिशर देना पड़ता है और जिन मुर्गियों को अंडों के लिए पाला जाता है उनको पहले 6 महीने तक ग्रोवर खाना देना होता है जिसके कारण मुर्गियों का वजन कम और अंग का विकास ज्यादा होता है।
- अंडे देने वाली मुर्गियां के लिए लेयर फिड देना होता है जिसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है। प्रोटीन की मात्रा 16 से 18% होती है। 5% मात्रा कैल्शियम की होती है।
मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी (सब्सिडी )
मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको भारत के नाबार्ड (NABARD) और ग्रामीण विकास बैंक से लोन ले सकते हैं। यहां पर मिलने वाले लोगों को भारत सरकार की तरफ से सब्सिडी की भी सुविधा उपलब्ध है।
वर्ग (Category) | लोन सुविधा | सब्सिडी |
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमी और सिक्किम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र | ब्याज मुक्त ऋण – व्यय का 50% | 33.33 % |
अन्य उद्यमी | ब्याज मुक्त ऋण – व्यय का 50% | 25% |