Reserve Bank of India (RBI): भारतीय रिजर्व बैंक:  इतिहास, संरचना, कार्य और भूमिका।

RBI

प्रस्तावना

भारतीय अर्थव्यवस्था आज के समय में बढ़ाने वाली विश्व की सबसे तेज अर्थव्यवस्था में से एक है। भारतीय अर्थव्यवस्था एक विशाल अर्थव्यवस्था होने के कारण उसको संचालित और नियंत्रण करने के लिए एक मजबूत संस्था की जरूरत होती है। इसी संस्था के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) काम करती है। भारत में आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और नियंत्रित करना यह भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्य काम है। भारतीय रिजर्व बैंक एक बैंकिंग प्रणाली की निगरानी करता है, मुद्रा को संचालन करता है, मुद्रा को नियंत्रित रखता है और आर्थिक स्थिरता बनाने में अहम भूमिका निभाता है।

 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का परिचय

भारतीय रिजर्व बैंक भारत में केंद्रीय बैंक का काम करती है, जो देश में मौद्रिक और वित्तीय नीति के निर्माण और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक पर है। देश के मौद्रिक नीति का संरक्षक और आर्थिक व्यवस्था का रक्षक आरबीआई को कहा जाता है।

  • स्थापना: 1 अप्रैल 1935
  • मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र
  • स्थापना का अधिनियम: 1934, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम (RBI Act, 1934)
  • RBI का राष्ट्रीयकरण: 1 जनवरी 1949

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का इतिहास

साल 1926 में, हिल्टन यंग आयोग (Hilton Young Commission) ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना का विचार लाया था। उनकी सिफारिश यह थी कि भारत में मुद्रा और बैंकिंग व्यवस्था को स्थिर करना और एक केंद्रीय बैंक का निर्माण करना। इसी उद्देश्य हेतु भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई थी।

  • 1934: भारतीय रिजर्व बैंक का अधिनियम (RBI Act) पारित किया गया था।
  • 1 अप्रैल 1935: भारत के कोलकाता शहर में आरबीआई की स्थापना हुई थी।
  • 1937: आरबीआई का मुख्यालय कोलकाता से मुंबई में स्थानांतरित किया गया।
  • 1949: इस साल आरबीआई का राष्ट्रीयकरण हुआ था

भारतीय रिजर्व बैंक की संरचना

भारतीय रिजर्व बैंक की संरचना, आरबीआई अधिनियम 1934 के अंतर्गत निर्धारित होती है, जिसमें पूरे 21 सदस्य होते हैं।

  • 1 गवर्नर (Governer): आरबीआई की कमेटी में एक ही गवर्नर होता है, जो आरबीआई का सर्वोच्च पद होता है। इस गवर्नर को भारत सरकार की तरफ से 3 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है।
  • 4 डेप्युटी गवर्नर (Deputy Governor): चार डेप्युटी गवर्नर होते हैं। दो डिप्टी गवर्नर आरबीआई के अधिकारियो  चुने जाते हैं और एक डिप्टी गवर्नर वाणिज्यिक बैंकों के संबंधित मामलों के विशेषज्ञ होते हैं और एक डिप्टी गवर्नर अर्थशास्त्र या वित्त क्षेत्र की विशेषज्ञ होते हैं।
  • 2 मेंबर फाइनेंस मिनिस्ट्री (Finanace Ministry) की तरफ से
  • 10 सर का नामांकित डायरेक्टर (Goverment Nominated)
  • 4 डायरेक्टर: चार डायरेक्टर जो मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली के स्थानीय बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं

भारतीय रिजर्व बैंक की मुख्य कार्य

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य केवल मुद्रा जारी करना नहीं था, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित और सशक्त बनाना था। नीचे दिए बिंदु भारतीय रिजर्व बैंक के उद्देश्य बताते हैं।

  • भारत की मुद्रा यानी रुपये का मूल्य स्थिरता बनाए रखना।
  • मुद्रास्फीति और मुद्रा स्फीति को नियंत्रित रखना।
  • भारत में कार्यरत बैंक और वित्तीय संस्था को नियंत्रित रखना।
  • विदेशी मुद्रा का भारत में पर्याप्त भंडार बनाए रखना।
  • भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
  • भारत की आम जनता का बैंकिंग व्यवस्था पर विश्वास कायम रखना।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए समय-समय पर संशोधन करना।
  • भारत में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देना।
  • बैंकिंग क्षेत्र में चल रही धोखाधड़ी पर रोक लगाना।
  • भारत में कार्यरत बैंक के ग्राहक की समस्या का निवारण करना।
  • भुगतान प्रणाली को मजबूत करना।
  • विदेशी मुद्रा का प्रबंध करना।

RBI कि मौद्रिक नीतियां (Monetary Policy)

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए, उसे मजबूत करने के लिए मौद्रिक नीति बनाया जाता है। देश का मौद्रिक प्राधिकरण उस देश के सेंट्रल बैंक द्वारा किया जाता है। भारत में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया सेंट्रल बैंक का काम करती है। आरबीआई मौद्रिक नीति के तहत ब्याज दरों को नियंत्रित करके, भारत में सेवा और वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी को नियंत्रित करती है। RBI दो प्रकार की मौद्रिक नीतियों का प्रयोग करता है।

1) सख्ती वाली मौद्रिक नीति (Tight Monetary Policy)

जब मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ती है, तो आरबीआई ब्याज दरों को बढ़ाती है इसी कारण बाजार में नगदी रूपों (Cash Flow) की कमी हो जाती है।

2) ढील वाली मौद्रिक नीति (Loose Monetary Policy)

जब भारतीय बाजार में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ जाती है, इस गतिविधियो को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याजदर घटती है ताकि निवेश और खर्च बढ़ सके।

मौद्रिक नीति समिति की संरचना

मौद्रिक नीति समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं।

  • 1 भारतीय रिजर्व बैंक की गवर्नर: जो इस समिति के अध्यक्ष होते हैं।
  • 1 भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर: जो मौद्रिक नीति से जुड़े मामले की प्रभारी होती है।
  • 1 भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारी: जिन्हें केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामांकित किया जाता है।
  • 3 सदस्य जो भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं: जिन्हें वित्त मंत्रालय चुनता है।

RBI की मुख्य योजनाएं और पहल

भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर नई योजनाएं और पहल लाती है। ऐसी बहुत सारी योजनाएं और पहल है, जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत तेजी के साथ बड़ी है। जैसे कि

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना
  • UPI (Unified Payment Interface) और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना।
  • भारत में रुपए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड की शुरुआत।
  • बैंकों का विलय और पुनर्गठन।
  • एनबीएफसी (NBFC-Non Banking Financial Company) और सरकारी बैंक पर नियंत्रण।
  • बैंकिंग लोकपाल: ग्राहकों की समस्या का निवारण करने के लिए आरबीआई ने बैंकिंग लोकपाल मध्य आम जनता को उपलब्ध कर दिया है।

Read More प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना- फ्री 300 यूनिट बिजली

निष्कर्ष

भारतीय रिजर्व बैंक केवल एक केंद्रीय बैंक नहीं है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी है। जो मुद्रा की स्थिरता से लेकर डिजिटल भुगतान तक और बैंकों के संचालन से लेकर विदेशी मुद्रा का भंडार हर स्तर पर कार्यरत करती है। भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भारतीय रिजर्व बैंक का बहुत बड़ा योगदान है।

Leave a Comment