Security and Exchange Board of India (SEBI)- भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड : इतिहास, संरचना, कार्य और भूमिका

SEBI

प्रस्तावना

भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेज बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में से एक है। बड़ी अर्थव्यवस्था होने के कारण भारत के शेयर बाजार और पूंजी बाजार को नियमित करने के लिए एक संस्था की जरूरत है, जो इन शेयर बाजार और पूंजी बाजार को सही दिशा देने और पारदर्शिता बनाए रखे, तो निवेशकों का भरोसा बना रहे। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया की स्थापना की है।

SEBI निवेशकों के हितों की रक्षा करने, शेयर बाजार में निष्पक्ष लेनदेन सुनिश्चित करने और कंपनियों और ब्रोकरों को नियंत्रित करने का काम करता है।

SEBI का परिचय

  • पूरा नाम: Security Exchange Board of India (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड)
  • स्थापना: 12 April 1988
  • मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र
  • संविधानिक दर्जा: 1922
  • अधिनियम: SEBI अधिनियम 1992 (SEBI ACT 1992)
  • क्षेत्रीय कार्यालय: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद

SEBI स्थापना की जरूरत क्यों पड़ी

1980 के दशक में भारत में पूंजी बाजार में तेजी से विस्तार हो रहा था। विस्तार के साथ-साथ बहुत सारी ऐसी घटनाएं घट रही थी जिससे आम आदमी को नुकसान और घोटाले बढ़ रहे थे। जैसे की,

  • शेयर बाजार में घोटाले बढ़ रहे थे।
  • निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ रही थी।
  • शेयर बाजार में पंजीकृत कंपनिया पारदर्शिता नहीं रख रही थी।
  • ब्रोकर और डाल बिना नियंत्रण के काम कर रहे थे।

इन सारी समस्याओं को दूर करने के लिए और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए 1988 में SEBI का गठन किया गया था।

SEBI के मुख्य उद्देश्य

  • निवेशकों की हितों की रक्षा करना।
  • भारत में शेयर बाजार और पूंजी बाजार का विकास करना।
  • बाजार में निष्पक्ष और पारदर्शी लेनदेन को सुनिश्चित करना।
  • दलाल, ब्रोकर, कंपनी और म्युचुअल फंड्स का नियमन करना।
  • अनुचित व्यापार की प्रथाओं को रोकना।

SEBI की संरचना

SEBI की संरचना को इस तरह से तैयार किया गया है, जिसमें सरकार और स्वतंत्र विशेषज्ञ दोनों को प्रतिनिधित्व हो।

  • अध्यक्ष: भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • 2 सदस्य: जो भारत के वित्त मंत्रालय से नियुक्त किए जाते हैं।
  • 1 सदस्य: भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से होता है।
  • अन्य 5 सदस्य:  यह पांच सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

Security and Exchange Board of India के महत्वपूर्ण कार्य

SEBI के कार्य को तीन महत्वपूर्ण श्रेणी में बांटा जाता है।

1) नियामक कार्य (Regulatory Functuons):

  • ब्रोकर (ब्रोकर्स), सब ब्रोकर (Sub Brokers), मर्चेंट बैंकर (Merchant Banker), पोर्टफोलियो मैनेजर (Portfolio Manager) का भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण और नियंत्रण करना।
  • म्युचुअल फंड्स (Mutual Fund) और वेंचर कैपिटल फंड्स (Venture Capital Fund)को नियंत्रित करना।
  • शेयर बाजार (Share Market) और स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchanges) के नियम तय करना।

2) विकासात्मक कार्य (Development Functions):

  • निवेशकों को शिक्षा और जागरूकता प्रदान करना।
  • ऑनलाइन ट्रेडिंग (Online Trading) जैसी नई तकनीक को बढ़ावा देना।
  • कंपनियों को पूंजी बाजार से जुड़ने में सुविधा उपलब्ध करना।

3) सुरक्षात्मक कार्य (Protective Functions):

  • अंदरुनी कारोबार (Inside Trading) पर रोक लगाना।
  • कंपनियों को सही और पूरी जानकारी जारी करने के लिए बाध्य करना।
  • निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाना।
  • शेयर बाजार से जुड़े धोखाधड़ी (Frauds) पर रोक लगाना।

Security and Exchange Board of Indiaकी शक्तियां

SEBI स्थापना भारत के शेयर बाजार और पूंजी बाजार को नियंत्रित करने के लिए हुई थी। इसी कारण SEBI को बहुत सारी शक्तियां है, जिसका इस्तेमाल वह भारतीय शेयर बाजार और पूंजी बाजार को नियंत्रित करने के लिए करती है। शेयर बाजार से जुड़े अगर कुछ घटना अनियमित स्वरूप से कार्य करती है तो SEBI उन पर रोक लगाने के लिए सक्षम है। जैसे कि,

  • ब्रोकर और  कंपनियों का पंजीकरण रद्द करना।
  • किसी कंपनी को आईपीओ (IPO) लाने से रोका
  • अंदरुनी कारोबार (Inside Trading) में शामिल लोगों पर जुर्माना लगाना।
  • शेयर बाजार से जुड़े, किसी मामले की जांच और छापेमारी करना।
  • निवेशकों की शिकायतों का निवारण करना।
  • ब्रोकर और कंपनियां अगर अनियमित रूप में काम करती है तो उन पर जुर्माना लगाना।

SEBI द्वारा नियंत्रित संस्थाएं

  • स्टॉक एक्सचेंज (Stock exchanges) NSE, BSE आदी
  • म्युचुअल फंड कंपनियां
  • डिपॉजिटरी, NSDL, CDSL
  • ब्रोकर्स
  • वेंचर कैपिटल फंड्स (Venture capital funds)
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (Credit Rating agency)

SEBI की मुख्य पहल

  • SCORE (SEBI – complaints Redress System): निवेशकों की शिकायत का ऑनलाइन निवारण करने के लिए इस पोर्टल की शुरुआत SEBI ने की है।
  • EDIFAR (Electronic Data Information Filing and Retrieval): भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत कंपनियों की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए इस पोर्टल की सुविधा SEBI द्वारा उपलब्ध की है।
  • ASBA (Application Supported By Block Amount): यह सुविधा को SEBI द्वारा आईपीओ (IPO) के प्रणाली को सुरक्षित निवेश करने के लिए किया था।
  • SME एक्सचेंज: छोटे और मध्यम (Small and Medium Enterprises) उद्योगों को भारतीय पूंजी बाजार में प्रवेश देने के लिए शुरू किया है।
  • Green Bonds and ESG निवेश: यह भारत में पर्यावरण अनुकूल निवेश योजना को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू किया है।
  • डिमैट खाता (Dmat Account): निवेशक को भारतीय शेयर बाजार में ऑनलाइन निवेश करने के लिए यह सुविधा उपलब्ध को की है। यह खाता आपके बैंक खाते को लिंक होता है, जिसके तहत आप भारतीय शेयर बाजार में ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं।

SEBI की कार्यप्रणाली

  • निगरानी (Surveillance): भारतीय शेयर बाजार में होने वाले हर एक लेनदेन पर नजर रखना।
  • पंजीकरण (Registration): ब्रोकर्स, म्युचुअल फंड, पोर्टफोलियो मैनेजर, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आदि का भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण करना।
  • नियमन (Regulation): निवेशकों और कंपनियां दोनों को आचार संहिता का पालन करवाना।
  • दंड (Penalty): किसी भी तरह की धोखाधड़ी या अनुचित व्यवहार या अनियमित तरीके से व्यापार होता है तो, आर्थिक और कानूनी दंड लगाना।

SEBI कि समितियां

  • PMAC– PRIMARY MARKET ADVISORY COMMITTEE
  • SMAC– SECONDARY MARKET ADVISORY COMMITY
  • TAC– TECHNICAL ADVISORY COMMITTEE
  • CBDMAC– CORPORATE BOND AND DEBT MARKETING ADVISORY COMMITTEE
  • MUTUAL FUND ADVISORY COMMITTEE

निष्कर्ष

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भारत के शेयर बाजार और पूंजी बाजार को एक नई दिशा दी है। जिसकी वजह से निवेशक अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं और कंपनियों पर पारदर्शिता बनाए रखने का दबाव रहता है। आने वाले समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक वैश्विक स्तर पर जुड़ेगी तब SEBI की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी।

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